इन्हीं शब्दों के साथ शुरू की थी उसने अपनी बात इन्हीं से खत्म की इन्हीं के साथ संपन्न किए सारे जरूरी काम इन्हीं से चलाए जरूरी संघर्ष इन्हीं से चला रहा है आजकल एन जी ओ
हिंदी समय में वीरेन डंगवाल की रचनाएँ